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Angreji Madhyam Ka Bhramjaal (Hindi)

By: Sanu, Sankrant.
Contributor(s): Dua, Subhas (Tr.).
Publisher: New Delhi Prabhat Prakashan 2015Description: 152p. 8.5x5.5.ISBN: 9789351863984.DDC classification: 306.4408954/ Summary: भारत में आज यह अवधारणा व्याप्त हो गई है कि केवल अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा ही विकास का आधार है। इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कानून और उच्च न्यायालयों का संचालन केवल अंग्रेजी में होने से इसी माध्यम का वर्चस्व बना हुआ है। ‘अंग्रेजी माध्यम का भ्रमजाल’ पुस्तक इसी मिथ्या भ्रम को खंडित करती है। समृद्ध देशों में लोग विज्ञान एवं अन्यान्य उच्च शिक्षा अपनी मातृभाषा में प्राप्त करते हैं। शोध विवरणों से पता चला है कि छात्र अपनी मातृभाषा में विज्ञान को बेहतर समझते हैं। भारत को विकास के पथ पर आगे ले जाने के लिए उच्च एवं व्यावसायिक शिक्षा सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होनी चाहिए। इस पुस्तक में विशिष्ट नीति प्रस्तावों के अंतर्गत भारत की प्रतिभा को विश्व स्तर पर उभारने हेतु एक व्यावहारिक मार्ग प्रशस्त किया गया है। निजभाषा के प्रति सचेत और जागरूक कर स्वाभिमान और गर्व के साथ विकास करने को प्रेरित करती पठनीय पुस्तक।
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Book Book Hindi Book 306.4408954/San/Dua (Browse shelf) Available 23422
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भारत में आज यह अवधारणा व्याप्त हो गई है कि केवल अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा ही विकास का आधार है। इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कानून और उच्च न्यायालयों का संचालन केवल अंग्रेजी में होने से इसी माध्यम का वर्चस्व बना हुआ है। ‘अंग्रेजी माध्यम का भ्रमजाल’ पुस्तक इसी मिथ्या भ्रम को खंडित करती है। समृद्ध देशों में लोग विज्ञान एवं अन्यान्य उच्च शिक्षा अपनी मातृभाषा में प्राप्त करते हैं। शोध विवरणों से पता चला है कि छात्र अपनी मातृभाषा में विज्ञान को बेहतर समझते हैं। भारत को विकास के पथ पर आगे ले जाने के लिए उच्च एवं व्यावसायिक शिक्षा सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होनी चाहिए। इस पुस्तक में विशिष्ट नीति प्रस्तावों के अंतर्गत भारत की प्रतिभा को विश्व स्तर पर उभारने हेतु एक व्यावहारिक मार्ग प्रशस्त किया गया है। निजभाषा के प्रति सचेत और जागरूक कर स्वाभिमान और गर्व के साथ विकास करने को प्रेरित करती पठनीय पुस्तक।

Hin

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