Bhartiya Pauranik Kathaein (Hindi)
By: Pattanaik, Devdutt.
Publisher: Delhi Rajpal & Sons 2015Description: 204p. 8.5x5.5.ISBN: 9789350642559.Subject(s): Hindu mythologyDDC classification: 294.54/ Summary: रक्तरंजित और विकराल रूप वाली काली से लेकर विध्नहारी गणेश तक भारतीय आध्यात्मिक जगत ऐसे पात्रों से आबाद है, जिनका कोई प्रतिरूप दुनिया के किसी भी और देश में नहीं मिलता। एक रहस्यमय और अनोखी दुनिया से रू-ब-रू कराती है यह पुस्तक और पौराणिक कथाएँ प्राचीन पुराकथाओं में इन पात्रों की समृद्ध बुनावट को रेशा-दर-रेशा खोलती है और यह दिखाती है कि भारतीय पुराकथाएँ तभी बेहतर तौर पर समझी जा सकती हैं जब हम पश्चिमी, एकेश्वरवादी धारणा से हटकर हिन्दू परम्पराओं के देवी-देवता बहुल संसार में प्रवेश करें। हज़ारों वर्षों के दौरान भारतीय आख्यानों और उनकी व्याख्या पर नज़र डालती हुई भारतीय पौराणिक कथाएँ यह प्रदर्शित करती हैं कि कैसे इन कथाओं में वर्णित रीति-रिवाज़, कर्मकांड और कला आज भी जीवन्त बनी हुई है और पीढ़ी को अपनी ओर आकर्षित करती है।Item type | Current location | Collection | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Hindi | Book | 294.54/ Pat (Browse shelf) | Available | 23428 |
रक्तरंजित और विकराल रूप वाली काली से लेकर विध्नहारी गणेश तक भारतीय आध्यात्मिक जगत ऐसे पात्रों से आबाद है, जिनका कोई प्रतिरूप दुनिया के किसी भी और देश में नहीं मिलता। एक रहस्यमय और अनोखी दुनिया से रू-ब-रू कराती है यह पुस्तक और पौराणिक कथाएँ प्राचीन पुराकथाओं में इन पात्रों की समृद्ध बुनावट को रेशा-दर-रेशा खोलती है और यह दिखाती है कि भारतीय पुराकथाएँ तभी बेहतर तौर पर समझी जा सकती हैं जब हम पश्चिमी, एकेश्वरवादी धारणा से हटकर हिन्दू परम्पराओं के देवी-देवता बहुल संसार में प्रवेश करें। हज़ारों वर्षों के दौरान भारतीय आख्यानों और उनकी व्याख्या पर नज़र डालती हुई भारतीय पौराणिक कथाएँ यह प्रदर्शित करती हैं कि कैसे इन कथाओं में वर्णित रीति-रिवाज़, कर्मकांड और कला आज भी जीवन्त बनी हुई है और पीढ़ी को अपनी ओर आकर्षित करती है।
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