Desi Management (Hindi)
By: Kant, Suresh.
Publisher: New Delhi Hind Pocket Books 2015Description: 184p. 8.5x5.5.ISBN: 9788121620482.DDC classification: 891.437/ Summary: सुरेश कांत व्यंग्य-लेखन को गंभीरता से लेने वाले अद्वितीय व्यंग्यकार हैं। वे उन तथाकथित व्यंग्य-लेखकों से सर्वथा भिन्न हैं, जिन्होंने बाज़ार की माँग पर लिखने और रोज़ाना लिखने-छपने की विवशता के कारण व्यंग्य को नितांत अल्पजीवी बना छोड़ा है। ‘ब से बैंक’, ‘अफसर गए बिदेस’, ‘पड़ोसियों का दर्द’, ‘बलिहारी गुरु’, ‘अर्थसत्य’ जैसी अपनी अभिनव व्यंग्य-कृतियों और विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लिखे अपने व्यंग्य-काॅलमों द्वारा उन्होंने व्यंग्य को एक नई धार दी है। सुरेश कांत ने नए-नए विषयों के चयन और शैलीगत नवीनता द्वारा हिंदी-व्यंग्य की जड़ता और फार्मूलाबद्धता को लगातार तोड़ा है और उसे एक नया तेवर और ताज़गी प्रदान की है। ‘देसी मैनेजमेंट’ में उनका यह रूप और प्रखरता से उभरा है। इसमें संकलित रचनाएँ देश के आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में व्याप्त विसंगतियों पर उनकी पैनी नज़र और समर्थ लेखनी की सुंदर निदर्शन हैं।Item type | Current location | Collection | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
---|---|---|---|---|---|---|---|
![]() |
Hindi | Book | 891.437/Kan (Browse shelf) | Available | 23437 |
Browsing HBCSE Shelves , Shelving location: Hindi , Collection code: Book Close shelf browser
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
||
891.434/Waj Safai Ganda Kaam Hai (Hindi) | 891.434/Waj Taaki Desh Mein Namak Rahe (Hindi) | 891.436/Yat Chitthiyon Ki Duniya (Hindi) | 891.437/Kan Desi Management (Hindi) | 891.437/Sur Yeh Vyangya Kau Panth (Hindi) | 891.438/Jos Netaji Kahin (Hindi) | 891.438/Kal Mere Hamakalama (Hindi) |
सुरेश कांत व्यंग्य-लेखन को गंभीरता से लेने वाले अद्वितीय व्यंग्यकार हैं। वे उन तथाकथित व्यंग्य-लेखकों से सर्वथा भिन्न हैं, जिन्होंने बाज़ार की माँग पर लिखने और रोज़ाना लिखने-छपने की विवशता के कारण व्यंग्य को नितांत अल्पजीवी बना छोड़ा है। ‘ब से बैंक’, ‘अफसर गए बिदेस’, ‘पड़ोसियों का दर्द’, ‘बलिहारी गुरु’, ‘अर्थसत्य’ जैसी अपनी अभिनव व्यंग्य-कृतियों और विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लिखे अपने व्यंग्य-काॅलमों द्वारा उन्होंने व्यंग्य को एक नई धार दी है। सुरेश कांत ने नए-नए विषयों के चयन और शैलीगत नवीनता द्वारा हिंदी-व्यंग्य की जड़ता और फार्मूलाबद्धता को लगातार तोड़ा है और उसे एक नया तेवर और ताज़गी प्रदान की है। ‘देसी मैनेजमेंट’ में उनका यह रूप और प्रखरता से उभरा है। इसमें संकलित रचनाएँ देश के आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में व्याप्त विसंगतियों पर उनकी पैनी नज़र और समर्थ लेखनी की सुंदर निदर्शन हैं।
Hin
There are no comments for this item.