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Pandrah Panch Pachhattar (Hindi)

By: Guljar.
Material type: materialTypeLabelBookSeries: Guchcha Gulazar. Publisher: New Delhi Vani Prakashan 2015Description: 143p. 9x6.ISBN: 9789352291564.DDC classification: 891.431/ Summary: इस पुस्तक की कविताएँ पन्द्रह खंडों में विभाजित हैं और हर खंड में पाँच कवितायें हैं। गुलज़ार का यह पहला संग्रह है,जिसमे मानवीकरण का इतना व्यापक प्रयोग किया गया है। कि यहाँ हर चीज़ बोलती है- आसमान कि कंनपट्टियाँ पकने लगती हैं, काल माई खुदा को नीले रंग के,गोल-से इक सय्यारे पर छोड़ देती है,धूप का टुकड़ा लॉनमें सहमे हुए एक परिंदे कि तरह बैठा जाता है ... यहाँ तक कि मुझे मेरा जिस्म छोड़ कर बह गया नदी में। यह महाकाव्य हमारी अपनी ज़िंदगी और हमारे अपने परिवेश कि एक ऐसी इंस्पेकशन रिपोर्ट है जिसका मज़मून गुलज़ार जैसा संवेदनशील और खानाबदोश शायर ही कलमबंद कर सकता था।
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Book Book Hindi Book 891.431/ Gul (Browse shelf) Available 23589
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इस पुस्तक की कविताएँ पन्द्रह खंडों में विभाजित हैं और हर खंड में पाँच कवितायें हैं। गुलज़ार का यह पहला संग्रह है,जिसमे मानवीकरण का इतना व्यापक प्रयोग किया गया है। कि यहाँ हर चीज़ बोलती है- आसमान कि कंनपट्टियाँ पकने लगती हैं, काल माई खुदा को नीले रंग के,गोल-से इक सय्यारे पर छोड़ देती है,धूप का टुकड़ा लॉनमें सहमे हुए एक परिंदे कि तरह बैठा जाता है ... यहाँ तक कि मुझे मेरा जिस्म छोड़ कर बह गया नदी में। यह महाकाव्य हमारी अपनी ज़िंदगी और हमारे अपने परिवेश कि एक ऐसी इंस्पेकशन रिपोर्ट है जिसका मज़मून गुलज़ार जैसा संवेदनशील और खानाबदोश शायर ही कलमबंद कर सकता था।

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