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Hum aise hi padhte hai jaise hume padhaya gaya tha Bhag-2

By: Rao, L. S. Sheshagiri.
Material type: materialTypeLabelArticleDescription: 21-31p.Online resources: Click here to access online In: Sandarbha (H) 71(128), May-Jun 2020Summary: यह मानव शरीर में रहने वाले समस्त सूक्ष्मजीवों की आपस में बातचीत की एक रोचक कहानी है। इस लेख के माध्यम से समझते हैं अपने अन्दर की माइक्रोबियल दुनिया को और शोधकर्ताओं की सूक्ष्मजीवों और मनुष्यों की इस आपसी गुफ्तगू को सुलझाने की पहल को। यह लेख इस श्रृंखला का अन्तिम भाग है जिसमें भविष्य में सूक्ष्मजीवों की मदद से हम कैसे जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी कर सकते हैं, का संक्षिप्त विवरण है।
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यह मानव शरीर में रहने वाले समस्त सूक्ष्मजीवों की आपस में बातचीत की एक रोचक कहानी है। इस लेख के माध्यम से समझते हैं अपने अन्दर की माइक्रोबियल दुनिया को और शोधकर्ताओं की सूक्ष्मजीवों और मनुष्यों की इस आपसी गुफ्तगू को सुलझाने की पहल को। यह लेख इस श्रृंखला का अन्तिम भाग है जिसमें भविष्य में सूक्ष्मजीवों की मदद से हम कैसे जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी कर सकते हैं, का संक्षिप्त विवरण है।

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